रजनी मेहरा ने अब ठान लिया है कि अब वो ध्रुव की शादी करवा के ही मानेगी। और वो लोग ध्रुव का रिश्ता लेके जा रहे है। आइये देखते है आगे क्या होता है।
स्थान : आई जी राजन मेहरा का घर।
आज घर मे बहुत ज्यादा चहल पहल लग रही थी। श्वेता, राजन मेहरा और रजनी मेहरा सभी कहीं जाने के लिए तैयार हो रहे थे। ध्रुव अकेला कोने में बैठा हुआ था।
राजन मेहरा : क्या हुआ बेटा? यहाँ अकेले चुपचाप क्यों बैठे हो।
ध्रुव: आप तो पता है कि मैं यहाँ क्यों बैठा हुआ हूँ। फिर भी पूछ रहे है।
राजन मेहरा : बेटा जो तुम चाहते हो वो नहीं हो सकता।
ध्रुव : लेकिन क्यों ? क्या मुझे मेरी शादी का फैसला लेने का हक नहीं है ?
राजन मेहरा : बेटा हक को मेरा भी बनता था कल दोस्तों के साथ पार्टी करने का, मगर तेरी माँ ने जाने नहीं दिया। एक दिन मिला पार्टी करने का वो भी तेरी माँ ने तेरे मासूम बाप से छीन लिया। कितने मुद्दतों के बाद मिला ये मौका। अब मेरे दोस्त…
ध्रुव ( राजन मेहरा की बात काटते हुए): पापा। यहाँ मेरी शादी की बात चल रही है और आप पार्टी की बात करने लगे।
राजन मेहरा : सॉरी बेटा। दिल का दर्द छलक कर बाहर आ जाता है, दिल जब भी अपने आप को अकेला पाता है।
ध्रुव: अब ल्यो। मुशायरा शुरू हो गया। शेरो शायरी होने लगी।
राजन मेहरा : दर्द है बेटा बहुत दर्द है सीने में ।
रजनी मेहरा(अंदर से): दर्द। कैसा दर्द?
राजन मेहरा( खिसियानी हँसी हस्ते हुए): कुछ नहीं भागवान। ध्रुव के हाथों में दर्द हो रहा है।
रजनी मेहरा : अरे बेटा तूने बताया नहीं।
राजन मेहरा (फुसफुसाते हुए): बचा ले बेटा। अपने बाप को अपनी माँ से बचा ले।
ध्रुव: हाँ माँ। मुझे भी अभी अभी ही पता चला कि मुझे दर्द हो रहा है।
रजनी मेहरा: पता चला। क्या मतलब?
राजन मेहरा: आज तू मेरा जनाजा निकलवा के ही मानेगा।
ध्रुव : मतलब माँ कि अभी-अभी अचानक से दर्द शुरू हुआ।
रजनी मेहरा : अरे तो बैठा क्या है? जा दवाई लगा ले।
ध्रुव: हाँ जाता हूँ माँ।
राजन मेहरा : बचा लिया तूने आज। इन औरतों के कान कितने तेज़ होते हैं। हैं न ध्रुव?
ध्रुव : हाँ सारा पंचौरा आज ही कर लीजिए आप। मेरी बात न सुनिए।
राजन मेहरा : अच्छा बता। मैं क्या करूँ ?
ध्रुव : आप माँ से इस बारे में बात करिये।
राजन मेहरा : एक बात बता बेटा। तू इस घर में कितने साल से है ?
ध्रुव: 28 साल।
राजन मेहरा : तूने इन 28 सालों में कभी भी ऐसा चमत्कार देखा है जो अब ऐसे चमत्कार की उम्मीद कर रहा है। अगर मैं उसे अपनी बात मनवा पाता तो कल मैं अपने दोस्तों के साथ पार्टी के लिए जा पाता। कितने दिनों बाद ये मौका मिला था। मुद्दतो के बाद ये दिन आया था। अब मेरे दोस्त…..
ध्रुव ( राजन मेहरा की बात काटते हुए): हद हो गई है। आप फिर शुरू हो गए।
राजन मेहरा : दर्द है बेटा दर्द। छलक कर बाहर आ ही जाता है।
रजनी मेहरा : अब किसको दर्द हो रहा है ?
राजन मेहरा : अरे कुछ नहीं भागवान। तुम तैयार हुयी कि नहीं।
रजनी मेहरा : हो हुयी।
राजन मेहरा (फुसफुसाते हुए): कितने तेज़ कान है तेरी माँ के ?
ध्रुव (अपना माथा पकड़कर ): ओफ्फो। कुछ नहीं हो सकता मेरा।
तभी घर में नागराज, परमाणु, डोगा, तिरंगा, एंथोनी, भोकाल आ जाते है। सभी नॉर्मल ड्रेस में रहते है।
नागराज : क्या हो गया भाई। क्यों रो रहा है तू।
सभी एक साथ : नमस्ते अंकल।
राजन मेहरा : अब तुम्हीं लोग देखो बेटा इसकी परेशानी।
डोगा : अबे बाथरूम कहाँ है ?
ध्रुव : मेरा साथ देने आया है कि संडास देखने आया है।
डोगा: भाई बहुत जोर से लगी है। पहले इसका साथ छोड़ने दे। फिर तेरा साथ निभाउंगा।
ध्रुव : जा बे। आगे से बाएं।
परमाणु : क्या हुआ बे। क्यों रो रहा है।
ध्रुव : अरे यार तू सब जान ही रहा है। अब माँ को कैसे समझाऊँ ? एक मिनट ये अन्थोनी और भोकाल क्या कर रहे है यहाँ पर। इनको किसने बुलाया।
तिरंगा : भाई इनको पता नहीं कहाँ से पता चल गया।
नागराज : अबे तूने ही तो बताया ध्रुव के मज़े लेते हुए। और इन महाशयों को देखो। एक भाई साब तेरी सिचुएशन का मज़ा लेने के लिए कब्र फाड़ कर आये है तो दूसरे भूतकाल से वर्तमान में आ गए है।
परमाणु ( हंसते हुए ): मज़े वाली बात तो है ही।
ध्रुव एकटक परमाणु को घूरने लगता है।
परमाणु (सकपका के): लेकिन इसकी जिंदगी का सवाल है। तुम सब मज़े ले रहे हो। भाई ये सब तिरंगा ने किया। मुझे क्यों घूर रहा है तू।
ध्रुव : वाह। नहीं नहीं वाह। यहां कॉमेडी सर्कस चल रहा। मज़े लिए जा रहे हैं ।
तिरंगा : सॉरी भाई।
ध्रुव: तुझसे तो मैं बाद में निपटूंगा। अभी जरा रिश्ता देख लूं।
एंथोनी: चल भाई।
ध्रुव : अबे तू तो भूत है। दिन में कैसे आ गया बाहर।
एंथोनी: भाई मेरे दोस्त को जरूरत हो और में न आऊं। ऐसा कैसे हो सकता है।
भोकाल : सीधे बोल न मज़ा लेने आया है।
नागराज : तू तो जैसे कन्यादान करने आया है ?
परमाणु : ये सब बाद में करना भाई। अभी चलो रिश्ता देखने। ये डोगा कहाँ रह गया। मूतने गया है कि नहाने।
डोगा : आ गया भाई । चलो।
ध्रुव : अबे इत्ती देर तू क्या कर रहा था अंदर।
डोगा : भाई फ्लो-फ्लो में सब निकलने लगा तो टाइम लगा गया।
भोकाल : वाह। इनको देखो। टेंशन अपने भाई को है लूज़ मोशन इन्हें हुए जा रहे है।
डोगा : तुझे कभी नहीं हुए क्या बे ?
ध्रुव : हाँ कर लो। सारी टट्टी पेशाब की बातें यहीं कर लो तुम लोग। बैठो सब लोग और कुछ जरूरी काम तो है नहीं किसी को। यही कर लो।
नागराज : अरे भाई भाई भाई भाई। गुस्सा थूक दो भाई। चलो सब।
कुछ देर बाद(माथुर साहब के घर)—
राजन मेहरा के दोस्त माथुर जी के घर सब लोग पधारते हैं।
माथुर : आइये मेहरा साहब आइये। आप ही का इंतज़ार कर रहे थे। बैठिये।
राजन मेहरा : नमस्कार माथुर जी। ये है हमारा बेटा ध्रुव। ये उसकी माँ रजनी मेहरा, ये हमारी बेटी श्वेता मेहरा और ये सब ध्रुव के दोस्त है।
सभी एक साथ : नमस्ते अंकल।
माथुर : नमस्ते बेटा। बैठो सब लोग।
डोगा : ज्यादा देर खड़े रह भी नहीं पाएंगे। पेट की हालत सही नहीं लग रही है। कुछ अपशकुन न हो जाये।
नागराज : अपशकुन का पता नहीं लेकिन तू छीछा लेदर जरूर करवा के मानेगा आज हमारी। साले पेट खराब था तो साथ क्यों आया।
डोगा : दोस्ती की खातिर भाई।
परमाणु : अब या तो तू अपनी दोस्ती निभा ले या तो पेट सम्भाल ले।
माथुर : क्या हुआ बेटा? कोई दिक्कत है क्या?
एंथोनी : है तो नहीं, पर हो सकती है।
माथुर : क्या बोले बेटा ?
भोकाल : कुछ नही अंकल। कुछ नहीं।
माथुर : अच्छा। आप लोग पानी मीठा लीजिये। हमारी बेटी अभी आती ही होगी।
राजन मेहरा : जी। लो सब लोग।
तभी माथुर जी की बेटी कमरे में आती है।
माथुर : लीजिये मेरी बेटी भी आ गई। ये है मेरी बेटी सिमरन।
तिरंगा (धीरे से नागराज से): भाई तू राज वो सिमरन।
परमाणु(धीमी आवाज़ में) : तुझे देखा तो ये जाना सनम।
एंथोनी (धीमी आवाज़ में): प्यार होता है दीवाना सनम।
भोकाल(धीमी आवाज़ में) : अब यहाँ से कहाँ जाए हम।
डोगा (धीमी आवाज़ में): तेरी बाहों में खो जाए हम।
ध्रुव (डोगा तो चपत लगाते हुए): वाह। नहीं नहीं वाह।जुगलबन्दी हो रही है। मुशायरा चल रहा है।
नागराज (धीमी आवाज़ में): भाई इसको मार मत। अभी कुछ निकल गया तो रोके नहीं रुकेगा।
ध्रुव : भग बे घिन्नये हो तुम सब।
माथुर : वैसे बेटा। तुम काम क्या करते हो ?
अन्थोनी : भाई की उसके मुंह पर बेज़्ज़ती कर दी अंकल ने।
ध्रुव : क्राइम फाइटर हूँ मैं।
माथुर : अरे मेरा मतलब। कमाते कैसे हो?
तिरंगा : हाँ भाई तू कमाता कैसे है? काम धन्धा तो करता नहीं है तू।
भोकाल : अबे ये क्या बताएगा। संजय सर से पूछना पड़ेगा। फोन मिलाओ कोई।
माथुर : ये संजय सर कौन हैं ?
नागराज : अरे फाइनेन्सर हैं हमारे।
ध्रुव : अरे मैं बता रहा हूँ ना।
राजन मेहरा : बता बेटा।
परमाणु : संजय सर का फोन लगा। उन्होंने बताया कि उन्हें नहीं पता।
डोगा : अबे भरोसा उठ गया आज मेरा लोगों पर से।
नागराज : बताओ यार। ये भी नहीं पता संजय सर को।
ध्रुव : अरे मैं बताता हूँ न।
रजनी मेहरा : बताओ बेटा।
डोगा : अबे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
माथुर : क्या हुआ बेटा ?
अन्थोनी : कुछ देर और भाई । कुछ देर और।
ध्रुव : अंकल मेरे काम के लिए और मेरे रहने खाने के लिए सरकार ने एक ट्रस्ट फण्ड बनाया है। उसी से मेरी कमाई होती है।
भोकाल : सरकारी जॉब वाला लौंडा है। वाह।
एंथोनी: अबे लड्डू में मीठा कम लग रहा है।
नागराज : तू कड़ाही लेकर बैठ जा यहीं पे। बन जा हलवाई।
राजन मेहरा : और आप की बेटी ने क्या पढ़ाई की है माथुर साहब ?
माथुर : अभी-अभी डॉक्टरी पूरी की है। अब प्रैक्टिस करेगी।
एंथोनी: नमकीन अच्छी है।
सब एक साथ उसको घूरते है।
डोगा : अब न हो पायेगा बर्दाश।
माथुर : क्या बेटा ?
तिरंगा : आप रिश्ते की बात चालू रखे अंकल।
माथुर साहब और राजन मेहरा ने आपस में बाकी चीज़ों पर बात की।
माथुर : तो मेरी तरफ से तो ये रिश्ता पक्का समझिए।
राजन मेहरा : हमारी तरफ से भी पक्का ही समझिए।
माथुर : तो आइए मुँह मीठा करते है। लीजिये मिठाई।
एंथोनी: पेड़ा ज्यादा अच्छा बना है।
सभी लोग मुँह मीठा करने लगते है तभी घर के बाहर से एक आवाज़ आती है।
“ये शादी नहीं हो सकती”
ध्रुव : ऋचा तुम।
सभी भौचक्के होकर बाहर देखने लगते हैं।
डोगा : हो गया भाई । हो गया।
नागराज : क्या हो गया?
डोगा : जो होना था हो गया।
भोकाल : कर दिया छीछा लेदर।
डोगा : अबे तो कोई ऐसे सरप्राइज देता है क्या।
क्रमशः
क्या हो पाएगी अब ध्रुव की शादी? या ऋचा तुड़वा सकेगी ये रिश्ता? जानने के लिए पढ़े इस कहानी का अगला भाग।
Published by Divyanshu tripathi
I am a lawyer by profession practicing in the Allahabad High Court. Born and brought up in the literature loving city of Allahabad(U.P.) I always had an inclination towards writing and reading. My aim is to write down anything interesting that pop up in my mind and to let my readers decide its worth. With this blog I am hoping to channel all my imagination and entertain you to the best of my capability. Hopefully, you would all enjoy it.
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