एक अकेला आखिरी, वो धुआँ था, बाहरी कोई आग है लग चुकी लपटें, जो इतनी उठ रही। इक जर्रा अंधेरा, मिटाकर पीछे अंधियारा छोड़ गया एक चिंगारी जलानी थी बाकी, आग बनाकर छोड़ गया। फिर तूफां और आंधियां और बारिशें भी नाकाम रही जो जलना था सब राख हुआ हर कोशिश मेरी भी नाकाम रही। …
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जरूरी है
खतों के रास्ते ही हो पर पैगाम जरूरी है वतन के वास्ते ही है ये ज्ञान जरूरी है। सरहदों पर हैं खड़े कब से पहचान जरूरी है एक बंदूक से न हो कुछ भी सब सामान जरूरी है। हैं खड़े उस ओर नापाक, सब उनको ये ऐलान जरूरी है मरोगे डर डर के टुकड़ों में …
एक ठूँठ
एक ठूंठ आज फिर लौट के ये बसंत आ गया, साथ मे अपने नए रंग ला गया, एक बार फिर देखो धरती तैयार हो गयी, एक और फसल आने की बहार हो गयी, किसान फिर से तैयार है खुद और बैलों को लेकर, बहुत सारा पसीना मेहनत के साथ, बोने लगा है बीज सपनो में …